Wednesday 21 December 2016

गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती


गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनी

गुरु गोविन्द सिंह जी का सिख समुदाय के विकास में बहुत बड़ा हाथ है। गुरु गोविन्द सिंह जी सिख धर्म के संस्थापक तो थे पर सिख धर्म के आगे ले जाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था जैसे उन्होंने सैन्य लोकाचार को शुरू किया जिसमें कुछ पुरुष सिखों को हर समय तलवारों  को साथ रखने को कहा गया। सिख समुदाय में वे आखरी सिख गुरु थे और उन्हें इसी कारण परम गुरु, गुरु ग्रन्थ साहिब  के नाम से जाना जाता है।

गुरु गोबिंद सिंह का जन्म और प्रारंभिक जीवन

गोबिंद सिंह अपने पिता गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के एक मात्र पुत्र थे। उनका जन्म 22 दिसम्बर, 1666, को पटना साहिब, बिहार, भारत में हुआ था। उनके जन्म के समय उनके पिता बंगाल और असम में धर्म उपदेश देने के लिए गए हुए थे। उनका जन्म नाम गोबिंद राय रखा गया था। उनके जन्म के बाद वे पटना में वे चार वर्ष तक रहे और उनके जन्म स्थान घर का नाम “तख़्त श्री पटना हरिमंदर साहिब” के नाम से आज जाना जाता है। 1670 में उनका परिवार पंजाब वापस लौट आये। उसके बाद मार्च 1672 में वे चक्क ननकी चले गए जो की हिमालय की निचली घाटी में स्तिथ है। वहां उन्होंने अपनी शिक्षा ली। चक्क ननकी  शहर की स्थापना गोबिंद सिंह के पिता तेग बहादुर जी ने किया था जिसे आज आनंदपुर साहिब के नाम से जाना जाता है। उस स्थान को 1665 में उन्होंने बिलासपुर(कहलूर) के शसक से ख़रीदा था।
अपनी मृत्यु से पहले ही तेग बहादुर ने गुरु गोबिंद जी को अपना उत्तराधिकारी नाम घोषित कर दिया था। बाद में मार्च 29, 1676 में गोबिंद सिंह 10वें सिख गुरु बन गए। यमुना नदी के किनारे एक शिविर में रह कर गुरु गोबिंद जी ने मार्शल आर्ट्स, शिकार, साहित्य और भाषाएँ जैसे संस्कृत, फारसी, मुग़ल, पंजाबी, तथा ब्रज भाषा भी सीखीं। सन 1684 में उन्होंने एक महाकाव्य कविता भी लिखा जिसका नाम है “वर श्री भगौती जी की”| यह काव्य हिन्दू माता भगवती/दुर्गा/चंडी और राक्षसों के बिच संघर्ष को दर्शाता है।

परिवार के लोगों की मृत्यु

कहा जाता है सिरहिन्द के मुस्लिम गवर्नर ने गुरु गोबिंद सिंह के माता और दो पुत्र को बंदी बना लिया था। जब उनके दोनों पुत्रों ने इस्लाम धर्म को कुबूल करने से मना कर दिया तो उन्हें जिन्दा दफना दिया गया। अपने पोतों के मृत्यु के दुःख को ना सह सकने के कारण माता गुजरी भी ज्यादा दिन तक जीवित ना रह सकी और जल्द ही उनकी मृत्यु हो गयी। मुग़ल सेना के साथ युद्ध करते समय 1704 में उनके दोनों बड़े बेटों की मृत्यु हो गयी।

Tuesday 13 December 2016

गरीबों के लिए ‘जनआवास’ योजना


मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आई.एस.बी.टी. फ्लाईओवर का लोकार्पण किया। विशेष आयोजनागत सहायता (एसपीए) के अंतर्गत नेशनल हाईवे संख्या 72 आई.एस.बी.टी. देहरादून में नवनिर्मित फोरलेन फ्लाईओवर की लागत 50 करोड़ 39 लाख रुपए है। केबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, विधायक राजकुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 983 मीटर लम्बाई का मल्टी एप्रोच फ्लाईओवर उत्तराखण्ड के लिए बड़ी उपलब्धि है। इसके बनने से हमारा कान्फिडेंस बढ़ा है। हमारी योजना ऐसे आठ दसफ्लाईओवर और बनाने की है। उन्होंने सचिव लोक निर्माण विभाग को इसके लिए कार्ययोजना बनाने के लिए निर्देशित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून पहले जेएनएनयूआरएम का फायदा नहीं उठा पाया था। हम देहरादून की तस्वीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं। रिस्पना व बिंदाल रिवर फ्रंट डेवलपमेंट इसी दिशा में की गई पहल है। बल्लीवाला फ्लाईओवर शुरू किया जा चुका है, जबकि बल्लुपुर फ्लाईओवर भी जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।



मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबों को तरक्की में भागीदार बनाया जा रहा है। प्रदेश में गरीबों को आवास देने के लिए उत्तराखंड जनआवास योजना बनाई गई। इसका तीन माह बाद रुद्रपुर में शिलान्यास होगा। इसमें 33 हजार आवास बनाएं जाएंगे। मलिन बस्तियों का न केवल नियमितिकरण किया गया, बल्कि इनके विकास के लिए चार सौ करोड़ का रिवाल्विंग फंड भी स्थापित किया है। हमने सामाजिक सुरक्षा की पेंशन राशि को एक हजार रुपए किया है। पेंशन लाभार्थियों की संख्या 1 लाख 74 हजार से बढ़ाकर 7 लाख 25 हजार कर दी है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा में 1 लाख 75 हजार का बीमा कवर दिया जा कहा है। हम एपीएल में सबसे सस्ता गेहूं चावल दे रहे हैं। बिजली की उपलब्धता को 14 घंटे से बढ़ाकर लगभग 24 घंटे कर दिया गया है। महिला सशक्तीकरण की अनेक योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं। हमने अपने स्टार्ट अप से सैंकड़ों युवाओं को उद्यमी बनाया है। केदारनाथ त्रासदी के बाद जिस तरह से काम किया गया उसी का परिणाम है कि इस वर्ष 15 लाख यात्री चारधाम यात्रा पर आए।
कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री रावत के नेतृत्व में विजन के साथ प्रदेश का विकास किया जा रहा है। सर्वाधिक प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशनें शुरू की गई हैं। पिछले दो वर्षों में देहरादून को आधुनिक शहर का रूप देने के लिए काफी काम किया
गया है।

Thursday 1 December 2016

इस साल 150 खेल मैदानों के लिए बजट दिया गया- मुख्यमंत्री

पिछले दो सालों में राज्य के भीतर खेल सुविधाएं विकसित करने में बहुत अच्छा काम किया गया है। राज्य में दो इंटरनेशल और 6 नेशनल स्टेडियम तैयार किए गए हैं। इसके साथ हाई एल्टीट्यूड मैदान भी उत्तराखंड में विकसित किए गए हैं। ये जानकारी राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पूर्व सैनिकों के एक कर्यक्रम में दी। इस मौके पर सीएम ने राज्य की खेलनीति की खासियत बताते हुए कहा कि सरकार ने जो खेल नीति तैयार की है उससे राज्यन के खिलाड़ियों का न केवल मनोबल बढा है बल्कि आयोजित खेलों में उनका उत्साह भी देखने को मिला है। सीएम ने कहा कि इस वित्तीय साल मे सरकार ने राज्ये के भीतर डेढ सौ खेल मैदानों के लिए बजट आवंटित किया है।