Sunday 13 November 2016

महान दार्शनिक गुरु नानक देव

कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को राएभोए की तलवंडी नामक स्थान में, कल्याणचंद (मेहता कालू) नाम के एक किसान के घर गुरु नानक का जन्म हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर नकाना साहब कहा जाता है, जो पाकिस्तान में है। माना जाता है कि 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नाम के दो पुत्र भी इन्हें हुए। 1507 में ये अपने परिवार का भार अपने श्वसुर पर पर छोड़कर यात्रा के लिए निकल पड़े। 1521 तक इन्होंने भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के प्रमुख स्थानों का भ्रमण किया। कहते हैं कि उन्होंने चारों दिशाओं में भ्रमण किया था। लगभग पूरे विश्व में भ्रमण के दौरान नानकदेव के साथ अनेक रोचक घटनाएँ घटित हुईं। 1539 में उन्होंने देह त्याग दी।  
महान दार्शनिक गुरु नानक देव  

गुरुनानक देव के चेहरे पर बाल्यकाल से ही अद्भुत तेज दिखाई देता था। उनका जन्म लाहौर के पास तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। उनका परिवार कृषि करके आमदनी करते थे। गुरुनानक का जहां जन्म आ था वह स्थान आज उन्हीं के नाम पर अब ननकाना के नाम से जाना जाता है। ननकाना अब पाकिस्तान में है।  

बचपन से प्रखर बुद्धिवाले नानक देव सिख धर्म के संस्थापक हैं। वे उम्र के 16वें वर्ष में शादी होने के बाद अपनी पत्नी और दोनों पुत्रों को छोड़कर धर्म के मार्ग पर निकल पड़ें। बचपन से ही उनका मन धर्म और दोनों पुत्रों को छोड़कर धर्म के मार्ग पर निकल पड़ें। बचपन से ही उनका मन धर्म और अध्यात्म में लगता था।   

कहा जाता है कि गुरुनानक देव ने एक ऐसे विकट समय में जन्म लिया जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं थी। विदेशी आक्रमणकारी भारत देश को लूटने में लगे थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। ऐसे समय में नानक एक महान दार्शनिक, विचारक साबित हुए। 

गुरु नानक देव ने भारत सहित अनेक देशों की यात्राएं कर धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है।

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