Tuesday 8 November 2016

दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजा और गणेश पूजा

दिवाली हिन्दूओं का बहुत महत्वपूर्ण और परंपरागत त्यौहार है, त्यौहार में कई हिंदू देवी-देवताओं की पूजा शामिल है, लेकिन मुख्य रूप से भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी जी की मंत्र, आरती, प्रार्थना, प्रसाद और बलिदान के माध्यम से हिन्दू धर्म में पूजा की जाती है। भक्तों द्वारा अपने भगवान की कर्मकांडवादिता और परंपरागत ढंग से पूजा की जाती हैं। देवी सरस्वती, भगवान शिव, और नौ ग्रहों की भी इस महान अवसर पर पूजा की जाती है। अग्नि देवता के साथ साथ अन्य हिन्दू देवी देवताओं की भी पूजा की जाती है। हिन्दूओं में दीवाली पूजा करने के 16 चरण है जैसे: भगवान का स्वागत करना, बैठने के लिये साफ जगह देना, पैर धोना, देवी देवताओं को अलंकरित करना, आवश्यक तत्व अर्पित करना, भगवान को वस्त्र पहनाना आदि क्रियाऍ देवी देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिये की जाती है। किसानों द्वारा पशुओं को भी सजाया जाता है और पूजा की जाती है क्योंकि वे मानते है कि मवेशी भी धन और स्वास्थ्य के असली स्त्रोत है।


लोगों द्वारा हिंदू देवी-देवताओं के लिए एक विशेष पूजा, घरों की सफाई, भजन गाना, मंत्रों का जाप, घंटी बजाना, प्रसाद की किस्म अर्पित करना, शंख बजाना, आरती पढ़ना, प्रसाद बाँटना और परिवार में बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेकर की जाती है। लोग अन्धकार या बुराई को दूर करने और भगवान के आशीर्वाद का प्राप्त करने के लिये अपने घर के चारों ओर मिट्टी के दीये जलाते है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि देवी लक्ष्मी सबके घर आयेंगी और अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद और समृद्धि प्रदान करेंगी। पूजा करने के बाद लोग घर की बनी हुई और तैयार की गयी मिठाईयाँ नवैध के रुप में देवी को अर्पित करते है और उसी मिठाई को परिवार के सदस्यों को प्रसाद के रुप में वितरित करते हैं। देवी देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिये लोग इस प्रसाद को अपने माथे से लगाकर खाते हैं। पूजा के बाद लोग एक दूसरे को उपहार और मिठाईयाँ देते है।

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