Tuesday 8 November 2016

छठ पूजा

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा की जाती है। इस पूजा का आयोजन पूरे भारत वर्ष में एक साथ किया जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा में सूर्य को अध्र्य दिया जाता है। पूजन में शरीर और मन को पूरी तरह साधना पड़ता है, इसलिए इस पर्व को हठयोग भी कहा जाता है। छठ पूजा क्यों की जाती है? इसको लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। हम यहां छठ पूजा मनाने को लेकर प्रचलित कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

भगवान राम ने की थी छठ पूजा

भगवान श्री राम सूर्यवंशी थे। इसलिए जब श्रीराम लंका पर विजय करके वापस अयोध्या आए तो उन्होंने अपने कुलदेवता सूर्य की उपासना की। उन्होंने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि पर व्रत रखा। सरयू नदी में डूबते सूर्य को अध्र्य दिया। सप्तमी तिथि को भगवान श्री राम ने उगते सूर्य को अध्र्य दिया। इसके बाद से आम जन भी इसी तरह से भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। जिससे छठ पूजा की शुरुवात कहा जाने लगा।

संतान प्राप्ति के लिए होती है पूजा

साधु की हत्या का प्राश्चित करने के लिए जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ वन में दिन गुजार रहे थे। उन दिनों पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महारानी कुंती ने सरस्वती नदी में सूर्य की पूजा की थी। इससे कुंती पुत्रवती हुई। इसलिए संतान प्राप्ति के लिए छठ पर्व का बड़ा महत्व है। कहते हैं इस व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है। वहीं जब पांडव राजपाट गंवाकर वन-वन भटक रहे थे तब भी द्रोपती और कुंती ने छठ पूजा की थी।

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